यह चीज बूढ़े व्यक्ति को भी जवानों जैसी शक्ति प्रदान करती है एक बार इसके बारे में जरूर जाने

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हमारे देश में बहुत सी जड़ी बूटियाँ पायी जातीं हैं जो असंभव समस्यायों को भी संभव कर देतीं हैं। कई जड़ी बूटियाँ तो ऐसी भी हैं जो पुराने से पुराने रोगों को ख़त्म कर देतीं हैं। बहुत सी ऐसी जड़ी हैं जो बलवर्धक और स्वास्थ्यकारी हैं। उन्ही में से एक है शिलाजीत तो बहुत ही शक्तिशाली और कई रोगों का नाश करने वाला है। जिसका इलाज शिलाजीत से ना किया जा सके। अतः इस से ही अंदाजा लगाया जा सकता है शिलाजीत के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह बूढ़े व्यक्ति को भी जवानों जैसी शक्ति प्रदान करता है। शिलाजीत के बारे में। आयुर्वेद के अनुसार शिलाजीत की उत्पत्ति शिला अर्थात पत्थर से हुई है। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य की प्रखर किरणों के ताप से पर्वत की चट्टानों के धातु अंश पिघलने से जो एक प्रकार का स्राव होता है
स्वाद में शिलाजीत काफी कड़वा, कसैला, उष्ण और धातु पोषण करने वाला होता है। देखने में यह तारकोल की तरह बेहद काला और गाढ़ा होता है जो सूखने के बाद एकदम चमकीला रूप ले लेता है। मधुमेह, स्वप्नदोष, शारीरिक क्षमता में कमीं, शारीरिक दुर्बलता दूर करने के लिए शिलाजीत का प्रयोग उत्तम माना जा सकता है। इसके अलावा वृद्धावस्था में आने वाली शारीरिक कमियों और अन्य व्याधियों से मुक्ति पाने के लिए शिलाजीत सहायक साबित होता है। अगर आपको लगता है तो आप गलत सोचते हैं। तो उसका शरीर हष्ट-पुष्ट बनता है और वह थकान या अन्य शारीरिक निर्बलता से दूर रहता है। कि शिलाजीत के सेवन के लिए जो मात्रा निर्धारित होनी चाहिए वह दो से बारह रत्ती के बीच होनी चाहिए।
इसके अलावा व्यक्ति की आयु और उसकी पाचन क्षमता को जानकर ही उसे शिलाजीत का सेवन करने दिया जाना चाहिए। दूध और शहद के साथ सुबह सूर्योदय से पहले शिलाजीत का सेवन करें और इसके 3-4 घंटे बाद ही कुछ खाएं। मानसिक तौर पर मजबूती प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन एक चम्मच मक्खन के साथ शिलाजीत का सेवन करना लाभ प्रदान करेगा। वे लोग जिन्हें शीघ्र पतन की समस्या का सामना करना पड़ता है उनके लिए शिलाजीत एक वरदान साबित हो सकता है। बीस ग्राम शिलाजीत और बीस ग्राम बंग भस्म में दस ग्राम लौह भस्म और छः ग्राम अभ्रक भस्म घोटकर दो-दो रत्ती की गोलियां बना लें। सुबह के समय एक गोली को मिश्री मिले दूध के साथ लें, इससे आपको अप्रत्याशित लाभ मिलेगा।

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